गद्य काव्‍य - पण तूं कठै?

पण तूं कठै?
कद आवेलो? आस री उमंग अळसायगी
मनड़ै रो मोद मोळो पड़ग्यो
तेरी उडीक में -
सरदी सिरकगी - पाळो ढळग्यो
डांफर बीतगी - रुत बदळगी
बोदा पान झड़ग्या - नूंवीं कूंपळ किरगी
गिरमी रा भंभूळिया उठ्या
लूंबा रा लपका चाल्या
सुपनां री सेज में गरद चढ़गी
मन रो मिरगलो घणो भटक्यो
पण तूं कठै ?
आभो गरणावै, बादळ झाला देवे
बीजळ परळाटा सूं सैन करै
बिरखा री झड़ी लागगी
अब नई आवसी तो भले कद?
होळी पाछलो धाबळो.....
आगै कांई कैवूं ?