संस्मरण - कणां नै कणां भाग ज्यासी

सन ५९ रै मई महीनै री बात। केन्द्र सरकार रा अेक लूंठा अफसर चूरू आयोड़ा। बीं बगत रा जिला कलक्टर बांनैं ले'र गांव लधासर (चूरू) पूग्या। अल्प बचत अधिकारी रै रूप में म्हैं भी बां रै साथै ई हो। सरपंच गांव रा अेक चौधरी हा। बै गांव री स्कूल में टाबरां री प्याऊ सारू सरकणां रो छपपर बांधण लाग रैया हा। कलेक्टर सा'ब बां रो परिचय अफसर नैं करा दियो।
घणी तपती तावड़ी में अेक सरपंच नैं इण भांत काम करतां देख'र बै घणा राजी हुया। बोल्या, 'गांव-गांव में इण भांत रा कार्यकर्तावां री घणी दरकार है।' भळै गांव रै गुवाड़ में गांव रा आखा लोगां री भी मीटिंग में बै भासण दियो। बोल्या, 'आप लोग लड़का नैं भणाओ हो, आ घणी , खुसी री बात है। अब आप लड़कियां नैं भी भणाओ।'
सभा में अेक आड़ू सो मिनख ऊभो होय'र बोल्यो, 'सा'ब! लड़कियां नैं भणावणी चोखी कोनीं।'
'क्यूं कांई बात है?' अफसर बूझ्यो।
बो मिनख पड़ूत्तर दियो, 'सा'ब! भण्योड़ी लड़कियां घर सूं भाग ज्यावै।'
अफसर बोल्या, 'इसी बात नीं है। देखो ! आपरै कलक्टर सा'ब री घरवाळी भण्योड़ी है, बै तो कदै ई नीं भाग्या।'
'अब तांई नीं भाग्या तो कांई हैं, कणां नैं कणां भाग ज्यासी।' बो मिनख बोल्यो।
आ बात सुणतां ई लोगड़ा मूंडै आगी गमछा कर कर'र घणा हंस्या। अेक जणो बीं रो बूकियो झाल'र बिठा लियो। कलक्टर सा'ब मुळक'र रैयग्या।