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बैजनाथ पंवार
गद्य काव्य - बाती अर दिवलो
बाती नैं घणै सनेव सूं आपरै हिवड़ै सूं लगावंतो दिवलो बोल्यो, ''देख म्हारी मूमल! हूं थारो कित्तो लाड राखूं?''
''जदी तो हूं थारै खातर तिल-तिल बळ रैयी हूं म्हारा बादीला छेल।'' मुळक'र बाती पड़ूत्तर दीन्यो।
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बैजनाथ पंवार
डाक्यूमेंटरी
बैजनाथ पंवार पर वृत्तचित्र
(निर्माण :
प्रयास संस्थान
, चूरू)
डाक्यूमेंटरी भाग-1
डाक्यूमेंटरी भाग-2
डाक्यूमेंटरी भाग-3
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परिचय
प्रकाशित साहित्य
एकांकी- कोल रा मोल
कहाणी- होम करतां हाथ
कहाणी - बांझड़ी
संस्मरण - घाघरै में अलार्म घड़ी
संस्मरण - लांग में घी
संस्मरण - थप्पड़ पड़ता गया - मूंडो फिरतो गयो
संस्मरण - कणां नै कणां भाग ज्यासी
गद्य काव्य - बाती अर दिवलो
गद्य काव्य - बादळ'र बीजळी
गद्य काव्य - हूं सौळा सिणगार करया
गद्य काव्य - पण तूं कठै?
साक्षात्कार
फोटुवां रै उणियारै : बैजनाथ पंवार
कीं पोथ्यां : एक निजर
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