संस्मरण - लांग में घी

सेठ - बात जची कोनीं।
नाई - पितवाण ल्यो, चौड़ै आय ज्यासी।
सेठ - जे थारी बात कूड़ होई तो?
नाई - थांरी जूती, म्हारो सिर। सेठ नैं पक्को कर'र नेवगी आपरै धंधै लाग्यो। बात सन् १९३७-३८ री है। रतननगर में सेठ श्रीनिवासजी भींवसरिया रै बेटै रो ब्याह मंड्यो। खुद रै टाबर कानीं हा, इण सारू कडूम़्बै रै अेक टाबर नैं आप गोद लियो, जिण रो नांव मदनलाल हो। कुदरत री बात। रतननगर में बा इसी गळी है जिणमें कोई ५-६ टाबर गोद ई गोद आया। इण खातर मजाक में बा गोद-गळी बाजै लागी।
सेठां नैं ब्याह रो घणो चाव हो। ब्याह सूं महीनै-बीस दिनां पैली इज हेली में सुनार गैंणो घड़ै, दरजी कपड़ा सींवै। हलवाई मिठायां बणावै। बामण्यां बनड़ा गाव। आखै परिवार मे इज नीं, पूरै बास मोहल्लै मे इण ब्याह रो घणो कोड-चाव। हेली में सेठाणी बास-मोहल्लै री लुगायां नैं गीतेरण्यां नैं कलेवा-पाणी सूं आदरै तो बारै बैठक में सेठ आपरै मिलणियां-जुलणियां री मनवारां करै।
बां दिनां घी-तेल अर किणी चीज में मिलावट रो चरसो को चाल्यो हो नीं। सस्तीवाड़ो भी मोकळो हो। एक रुपियै रो असली घी सवा सेर रै अड़गड़ै हो। बीसां दिन गोठ-घूघरी हुवंती रैयी। रुत सरदी री ही। ठंड भी मोकळी पड़ै ही।
हेली रै दरूजै बड़तां ई जीवणै पासै भट्टी पर कड़ाई चढ़ रैयी ही। नौकर-चाकर सगळा आप-आपरै काम में लाग्योड़ा हा। इतरै में नेवगी आ'र सेठां रै कान में होळै सी कैयो कै थारो रसोइयो आपरी लांग में घी रा डळा चोर'र ले ज्यावै है। म्हैं आंख्यां देख'र आयो हूं। रसोई में पींपा मांय सूं बो डळा रा डळा घी रा आपरी धोती री लांग में दाबण लाग रैयो हो। अगम बुद्धि बाणियो। सेठ आपरै हाथ में जेळी ले'र ऊभो हुयग्यो। महाराज कान पर जनेऊ टांग्यां, हाथ में लोटो लियां, पोळी सूं निसर्या। सेठ बीं रै आडा फिर'र बोल्या,'महाराज! अेकर लोटो धरद्यो, कड़ाई भट्टी पर जाबक ठण्डी हुयगी है सो भट्टी में आंच देवो।' कै'र जेळी महाराज रै हाथ मे झलाय दीनी। महाराज आपरो लोटो मेल'र जेळी सूं दूर खड़्यो भट्टी में लकड़ी सिरकावै।
'अयां कांई करो हो महाराज ! भट्टी जाबक ठंडी हुयगी है। मोकळी आंच देवो नीं।'
महाराज दूर खड़्यो डरतो-डरतो आंच देवै। भट्टी रै सारै हुय'र आंच देवंता-देवंता ज्यूं-ज्यूं ताव लाग्यो, महाराज री धोती, पग अर जूती घी सूं भरगी। महाराज घणो ई भेळो-भेळो हुवै।
आ हालत देख'र सेठ बोल्यो,'महाराज! निबटणै री इत्ती खथावळ है तो जेळी छोड़द्यो - जावो पैल्यां निबट'र आय जावो। पैली ई कैय देंवता कै थारै इत्ती तगड़ी हाजत है।'
महाराज तो लोटो ले'र इस्यो दड़ाछंट हुयो कै आपरी जिनगानी में ई बीं गळी में को बड़्यो नीं।